किरीट सवैया
किरीट सवैया
बारह मास रहे शिव सावन लोकलुभावन दिव्य सुहावन।
सावन में सब झूम उठें अति धूम मचे मधु भाव स्वभावन।
मस्त रहे मन नाच उठें सब देख सदा डमरू मृगछालन।
शंकर नृत्य करें जम के हर मानव देखत शंभु प्रभावन।।
सावन मास बने रखवाल सदा शिवनाथ रचें प्रिय मानव।
भूत न प्रेत दिखें धरती पर दुष्ट पिशाच डरें सब दानव।
शंभु सदाशिव शांत रहें अति भव्य लगें प्रिय नित्य सुमानव।
संग उमा शुभ भाव रहे गण-ईश गणेश रचें शिवमानव।
तामस वृत्ति मरे जल जाय सदा बरसे मधु अमृत बादल।
बूँद सदा रसखान बने सबके सिर ऊपर स्नेहिल आँचल।
शंकर भक्त चलें भर गागर मंदिर शंकर के चल पैदल।
जीवन होय महा शुभगा दिल प्रीति रहे शिव स्नेह अघायल।
Renu
23-Jan-2023 03:37 PM
👍👍🌺
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